आध्यात्मिक महान विचार
आँख के बदले आँख पूरे विश्व को अंधा बना देगी – महात्मा गांधी
मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय | परन्तु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं, वे मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ हूं – भगवत गीता
मैं तुम्हें एक नया उपदेश देता हूँ: एक दूसरे से प्यार करो, जैसे मैं तुमसे प्यार करता हूँ, तुम एक दूसरे से प्यार करो – ईसा मसीह
मन में असंतोष है और उसे नियंत्रित करना मुश्किल है, लेकिन अभ्यास से यह वश में किया जा सकता है – भागवत गीता
सभी अच्छे बुरे काम छोड़कर बस मुझमें पूरी तरह से समर्पित हो जाओ, मैं तुम्हारे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा – भगवत गीता
अधिक से अधिक भोले, कम ज्ञानियों और बच्चों की तरह बनें, जीवन को मजे के रूप में लीजिये, क्योंकि सही मायने में यही जीवन है – ओशो
हर जो भी कार्य करते हैं, शरीर की हर हरकत, हर एक चलन, हमारी सोच का हर एक विचार, हमारे मन पर एक अनोखी छाप छोड़ जाता है। – स्वामी विवेकानंद
हम जो हैं, उसका ज़िम्मेदार हम खुद हैं और जो हम बनना चाहते हैं, वो बनने की शक्ति हम अपने अंदर रखते हैं – स्वामी विवेकानंद
हर आत्मा, परमात्मा का हीं अंश है. और हर आत्मा का अंतिम लक्ष्य परमात्मा में मिल जाना है.
हमें अपने हर कर्म का फल भोगना हीं पड़ता है. चाहे अच्छे कर्मों के फल हों या बुरे कर्मों के फल. कुछ कर्मों के फल तुरंत मिल जाते हैं, तो कुछ कर्मों के फल भविष्य में मिलते हैं.
ईश्वर से कुछ मांगने पर न मिले तो उससे नाराज न होना क्योंकि ईश्वर वह नहीं देता जो आपको अच्छा लगता हैं बल्कि वह देता हैं जो आपके लिये हमेशा अच्छा हैं
मेरे लिए ना कोई घृणित है ना प्रिय | परन्तु जो व्यक्ति भक्ति के साथ मेरी पूजा करते हैं, वे मेरे साथ हैं और मैं भी उनके साथ हूं – भगवत गीता
मैं तुम्हें एक नया उपदेश देता हूँ: एक दूसरे से प्यार करो, जैसे मैं तुमसे प्यार करता हूँ, तुम एक दूसरे से प्यार करो – ईसा मसीह
मन में असंतोष है और उसे नियंत्रित करना मुश्किल है, लेकिन अभ्यास से यह वश में किया जा सकता है – भागवत गीता
सभी अच्छे बुरे काम छोड़कर बस मुझमें पूरी तरह से समर्पित हो जाओ, मैं तुम्हारे सभी पापों से मुक्त कर दूंगा – भगवत गीता
अधिक से अधिक भोले, कम ज्ञानियों और बच्चों की तरह बनें, जीवन को मजे के रूप में लीजिये, क्योंकि सही मायने में यही जीवन है – ओशो
हर जो भी कार्य करते हैं, शरीर की हर हरकत, हर एक चलन, हमारी सोच का हर एक विचार, हमारे मन पर एक अनोखी छाप छोड़ जाता है। – स्वामी विवेकानंद
हम जो हैं, उसका ज़िम्मेदार हम खुद हैं और जो हम बनना चाहते हैं, वो बनने की शक्ति हम अपने अंदर रखते हैं – स्वामी विवेकानंद
हर आत्मा, परमात्मा का हीं अंश है. और हर आत्मा का अंतिम लक्ष्य परमात्मा में मिल जाना है.
हमें अपने हर कर्म का फल भोगना हीं पड़ता है. चाहे अच्छे कर्मों के फल हों या बुरे कर्मों के फल. कुछ कर्मों के फल तुरंत मिल जाते हैं, तो कुछ कर्मों के फल भविष्य में मिलते हैं.
ईश्वर से कुछ मांगने पर न मिले तो उससे नाराज न होना क्योंकि ईश्वर वह नहीं देता जो आपको अच्छा लगता हैं बल्कि वह देता हैं जो आपके लिये हमेशा अच्छा हैं
मूर्ख दूसरों पर हंसते हैं, बुद्धिमान खुद पर – ओशो
बुद्धिमान व्यक्ति कामुक सुख में नहीं होता – भागवत गीता
वह जिस वक़्त मुझे स्मरण करते हुए अपना शरीर त्यागता हैं, वह मेरे धाम को प्राप्त होता है – भगवत गीता
जो केवल प्रभु-प्रभु की रट लगाता है, वह नहीं, लेकिन वह उस परम पिता की इच्छानुसार कार्य करता है वह धार्मिक है। – स्वामी विवेकानंद
हमेशा अपने विचारों, शब्दों और कर्म की पूर्ण समन्वय लक्ष्य रखें, हमेशा अपने विचारों को शुद्ध करने के लक्ष्य रखें, सब कुछ ठीक हो जाएंगे – महात्मा गांधी
यदि आप उनसे प्यार करते हो, जो तुमसे प्यार करते हो, तो क्या आपको ये श्रेय मिल जाएगा? क्योंकि पापी भी उससे प्यार करता है जो उनसे प्रेम करता है – ईसा मसीह
एक सच्चे सैनिक को सेना और आध्यात्मिक दोनों ही प्रशिक्षण की ज़रूर होती है – सुभाष चंद्र बोस
सार्थक और प्रभावी उपदेश वह हैं जो अपनी वाणी से नहीं अपने आचरण से प्रस्तुत किया जाता हैं.
क्रोध मूर्खों की छाती में ही बसता है – अल्बर्ट आइंस्टीन
जो अनभिज्ञ है कि वे अंधेरे में चल रहे हैं वे कभी प्रकाश की खोज करेंगे – ब्रूस ली
सत्याग्रह बल से नहीं, हिंसा का त्याग से होता है – महात्मा गांधी
जिस दिन अंतर मिट जायेंगा पूजा और अजान में उस दिन सच्चा स्वर्ग बनेगा अपने हिंदुस्तान में.
नरक के तीन दरवाजे हैं: वासना, क्रोध और लालच – भगवत गीता
सत्य को बाहर पाया नहीं जा सकता है, कोई शिक्षक, कोई शास्त्र यह आपको नहीं दे सकता है, यह आपके अंदर है और यदि आप को सत्य प्राप्त करने की इच्छा है, तो स्वयं की सहायता करो – ओशो
मौन सबसे सशक्त भाषण है, धीरे-धीरे दुनिया तुम्हे सुनेगी – महात्मा गांधी
हमारे कर्म जन्म-जन्मान्तर तक हमारे साथ चलते हैं.
सचमुच जीना दूसरों के लिए जीना है – ब्रूस ली
जो लोग अपनी सोच को बदल नहीं सकते हैं वे कुछ नहीं बदल सकते हैं – संदीप माहेश्वरी
एक कृत्य से किसी एक दिल को ख़ुशी देना, प्रार्थना में झुकते हज़ार सिरों से बेहतर हैं – महात्मा गांधी
जीवन से प्रेम करने का अर्थ हैं भगवान से प्रेम करना.
वह जो हमारे चिंतन में रहता है, वह करीब है, भले ही वास्तविकता में वह बहुत दूर हो सकता है लेकिन जो हमारे दिल में नहीं है, बहुत दूर होता है – चाणक्य
क्रोध से भ्रम पैदा होता हैं, भ्रम से बुद्धि भ्रष्ट होती हैं जब बुद्धि भ्रष्ट होती हैं तब तर्क नष्ट हो जाता है, जब तर्क नष्ट हो जाता हैं तब व्यक्ति का पतन हो जाता हैं.
जिसे भगवान पर विश्वास नहीं है, वह खुद पर कभी विश्वास नहीं कर सकता है.
किसी में दो कदम एक साथ उठाने की हिम्मत नहीं है | एक समय पर एक ही कदम उठता है – ओशो
रोना सबसे ज्यादा भक्ति गीतों में से एक है, जो रोना जानता है, वह साधना जानता है। यदि आप सच्चे दिल से रो सकेंगे, तो इससे प्रार्थना तुल्य कुछ भी नहीं है, रोने में योग के सभी सिद्धांत शामिल हैं -क्रिपलावानंद जी
उस रास्ते पर मत चलो जिस पर डर तूमहे ले जाए, बल्कि उस रास्ते पर चलो जहाँ प्यार ले जाए, उस रास्ते पर चलो जहाँ ख़ुशी आप को ले जाएंगे। – ओशो
त्याग दिये सब सपने कुछ अलग करने के लिये, राम ने बहुत कुछ खो दिया श्री राम बनने के लिये.
बुद्धिमान व्यक्ति का कोई शत्रु नहीं होता – चाणक्य
अगर तुम कल फिसलना नहीं चाहते तो आज सच बोल दो – ब्रूस ली
एक आदमी अपने विचारों से बनता है, जो वह सोचता है, वो ही बनता है – महात्मा गांधी
हर कोई कहता हैं की ईश्वर नजर नहीं आता लेकिन सच तो यह हैं की संकट के समय कोई साथ नहीं देता तब किसी न किसी रूप में भगवान् ही साथ देता हैं.
अधूरा ज्ञान, ज्ञान देने वाले और ज्ञान लेने वाले दोनों को नुकसान पहुंचाता है.
क्रोध और असहिष्णुता सही समझ के दुश्मन हैं – महात्मा गांधी
अर्धसत्य… झूठ से भी ज्यादा खतरनाक होता है और यह सबसे ज्यादा नुकसान पहुंचाता है.
वह जो अपने परिवार से अत्यधिक जुड़ा हुआ है, उसे भय और चिंता का सामना करना पड़ता है, क्योंकि सभी दुखों का मूल लगाव है। इसलिए खुश रहने के लिए लगाव छोड़ देना चाहिए – चाणक्य
एक भगवान हीं होते हैं, जो हमारा साथ कभी नहीं छोड़ते हैं. बाकि लोग तो हमारे जीवन में आते जाते रहते हैं.
भगवान उसका साथ जरुर देते हैं, जो दिल से उन्हें मदद के लिए पुकारता है.
भगवान को सिर्फ भक्ति से जाना जा सकता है, उसे जानने का कोई और तरीका नहीं है.
स्वास्थ्य ही असली धन है सोने और चांदी के टुकड़े नहीं – महात्मा गांधी
अपने परम भक्तों, जो हमेशा मेरा स्मरण या एक-चित्त मन से मेरा पूजन करता है, मैं व्यक्तिगत रूप से उनकी कल्याण की जिम्मेदारी लेता हूं – भगवत गीता
मानव जाति का एकमात्र लक्ष्य ज्ञान है – स्वामी विवेकानंद
हे अर्जन! हम दोनों ने कई जन्म लिए हैं मुझे याद है, लेकिन तुम्हे नहीं हैं – भगवत गीता
राम के नाम में राम से ज्यादा शक्ति है.
शास्त्रों में दुनिया के हर आध्यात्मिक प्रश्न का उत्तर मौजूद है.
आप वे बन जाते हैं जो आप सोचते हैं – ओशो
कमजोर होना हीं सबसे बड़ा पाप है.
जब भक्ति भोजन में प्रवेश में करती हैं तो भोजन प्रसाद बन जाता हैं, जब भक्ति पानी में प्रवेश करती हैं तो वह पानी अमृत बन जाता हैं, जब भक्ति घर में प्रवेश करती हैं तो घर मंदीर बन जाता हैं, और जब वही भक्ति इंसान के मन में प्रवेश करती हैं तो वो इंसान भक्त बन जाता हैं.
जो मन को नियंत्रित नहीं करता है उनके लिए वह शत्रु के समान काम करता है – भगवत गीता
केवल मन ही किसी का दोस्त और शत्रु होता है – भागवत गीता
जो चीज तुम्हारी नहीं है, उसे पाने की कोशिश करना मूर्खता है. क्योंकि इस चक्कर में तुम उस चीज को भी खो दोगे, जो चीज तुम्हारी है.
डर विश्वास से विपरीत होता हैं जब हमें डर लगता हैं तब हम भगवान् तक ये संदेश भेजते हैं की हम उसपर विश्वास नहीं करते हैं.
भगवान को पाने का सिर्फ एक हीं तरीका है, और वो तरीका है, भक्ति.
चेतना तो सिर्फ मानसिक महासागर की सतह है, और इसकी गहराई में हमारे उम्मीदों को संचित किया जाता है – स्वामी विवेकानंद
सच्चाई कोई बाहरी खोज नहीं है, सच्चाई को अंदर से महसूस किया जाता है सच्चाई एक अंदरूनी अहसास है – ओशो
भगवान् के सामने जो इन्सान झुकता हैं वो सबको अच्छा लगता हैं, लेकिन जो सब के सामने झुकता हैं वो इन्सान भगवान् को अच्छा लगता हैं.
आध्यात्मिक मार्ग पर दो सबसे मुश्किल परीक्षाएं हैं – सही समय की प्रतीक्षा करने के लिए धीरज और जो सामने आए उससे निराश नहीं होने का साहस। -पाउलो कोइल्हो
एक मनुष्य की सबसे सामान्य क्रियाओं को देखकर ही एक महापुरुष का चरित्र का अंदाज़ा लगा सकता है – स्वामी विवेकानंद
हमारा भाग्य हमारे हीं उन कर्मों का फल है, जिन कर्मों को हमने अतीत में किया है. उसी तरह हम आज जो कर्म कर रहे हैं, वो हमारे आने वाले कल को निर्धारित करेंगे.
कमजोर व्यक्ति कभी माफ नहीं कर सकता है, माफ करना मज़बूत व्यक्ति के गुणों में से एक है – महात्मा गांधी
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