Sunday, March 18, 2018

जब दिन गर्दिश के यादें हैं हर शक्स बुराई देता है हमदर्द नहीं कोई अपना दुनिया में दिखाई देता है



तर्ज - मुझे तुमने मालिक बहुत कुछ दिया है
तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है



मुझे तुमने मालिक बहुत कुछ दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है न मिलती अगर दी हुई दाग तेरी तो क्या थी जमाने में औकात मेरी यह बंदा तेरे ही सहारे दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है यह जायदाद दी है यह औलाद दी है मुसीबत में मुसीबत में हर वक्त इमदाद दी है तेरा ही दिया मैंने खाया पिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है मेरा ही नहीं तो सभी का है दाता सभी को सभी कुछ देता विधाता जो खाली था दामन तूने भर दिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है तेरी बंदगी से मैं बंदा हूं मालिक तेरी रहमतों से तेरे करम से ही जिंदा हूं मालिक तुम ही ने तो जीने के काबिल किया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है मेरा भूल जाना तेरा ना भुलाना तेरी रहमतों का कहां है ठिकाना तेरी इस मोहब्बत ने पागल किया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है तेरा शुक्रिया है     

(2)   जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे तो मिल जाएगा वह सजन धीरे-धीरे अगर उनसे मिलने की दिल में तमन्ना अगर प्रभु से मिलने की दिल में तमन्ना करो शुद्ध अंतःकरण धीरे-धीरे जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे कोई काम दुनिया में मुश्किल नहीं है कोई काम दुनिया में मुश्किल नहीं है जो करते रहोगे यतन धीरे धीरे जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे तुम मिल जाएगा वह सजन धीरे धीरे करो प्रेम से भक्ति सेवा हरि की करो प्रेम से भक्ति पूजा हरि की जो करते रहोगे भजन धीरे धीरे









(3) तर्ज - आए हो मेरी जिंदगी में तुम बहार बनके

अनमोल तेरा जीवन यूं ही गवा रहा है किस ओर तेरी मंजिल किस ओर जा रहा है सपनों की नींद में ही है रात ढल न जाए पल भर का क्या भरोसा कहीं जा निकल न जाए गिनती की है सांसे गिनती की है एहसास यूं ही लुटा रहा है किस ओर तेरी मंजिल की ओर जा रहा है जाएगा जब यहां से कोई न साथ देगा इस हाथ जो दिया है उसे हाथ जा कर लेगा कर्मों की है खेती वाले आज पा रहा है ममता के बंधनों ने क्यों आज तुझको मेरा सुख में सभी है साथी कोई नहीं है तेरा तेरा ही मुंह तुझको कब से रूला रहा है जब तक है भाई ध्वनि भगवान से जुदा है खोलो जो दिल का दर्पण इस घर में ही खुदा है सुख रूप हो के भी तू दुख आज पा रहा है किस ओर तेरी मंजिल किस ओर जा रहा है  ।।





(4). तर्ज- रेशमी सलवार कुर्ता जाली का


कर्म करो पर ध्यान रहे पथ छूटे ना इतनी देवो हवा गुब्बारा फुटेना हर कर्म के गर्भस्थल में रहता  हित अनहित अपना। जग जाल विकट ग्रंथि है सच कहो कहो या सपना।। सच में छुपे ना इतनी देवो हवा गुब्बारा फूट ना हो जब काम बीज सृष्टि का नर होय कमी कैसे जल में जो कमल का जीवन तुम जिओ जगत में ऐसे कामनी रूठे ना इतनी देवो हवा गुब्बारा फुटेना गुरुचरण अहम पद गांव तुम यत्र-तत्र बेखटके पर सावधान नित् रहना ले सत्य साज से झटके कहीं पर छूटे ना इतनी देवो हवा गुब्बारा फुटे ना


(5)-    


नजरे मिलाके मुझसे ए श्याम मुस्कुरा दो
गलती अगर हुई हो दिल से उसे भुला दो
किस बात पर खफा हो नाराज लग रहे हो
लगते हो जैसे हरदम नाराज लग रहे हो
खोए खोए से मेरे सरताज लग रहे हो
तुमको रिझाऊं कैसे इतना मुझे बता दो
पुतला हूं गलतियों का इंसान हूं कन्हैया
तुझ से छिपा नहीं है परेशान हूं कन्हैया
कर दो क्षमा दयालु नादान हूं कन्हैया
दिनों के नाथ मेरी परेशानियां मिटा दो
बालक मैं तुम पिता हो रिश्ता न टूट सकता
बातों में यूं ही दिल का बंधन न टूट सकता
योगेश कहे कन्हैया मुझसे न रूठ सकता
गालों पर प्यार से दो थपकी मेरे लगा दो
नजरे मिला कर मुझसे मेरे श्याम मुस्कुरा दो ।।


(6)-


मुझे रास आ गया है तेरे दर पर सर झुकाना तुझे मिल गया पुजारी मुझे मिल गया टिकाना मुझे कौन जानता था तेरा बनने से पहले तेरी बंदगी से बन गई मेरी जिंदगी अफसाना मेरी आरजू यही है दम निकले तेरे दर पर अभी सांस चल रही है कहीं तुम न चले जाना कुछ गम नहीं है मुझको चाहे बदले जमाना मेरी जिंदगी के मालिक कहीं तुम ना बदल जाना ये वह सर नहीं है जिसे रख के फिर उठालो सर रख दिया है दर पर अब मुश्किल है उठाना अब मुश्किल है उठानाll


(7)    दुनिया में चमत्कार है वरदान है पैसा पैसा ही बेईमान है ईमान है पैसा जिसने नाग रखा पास में वह नादान है पैसा और आता है चला जाता है बेईमान है पैसा माया निमत है फेरी पर सोच है यह मेरी भक्ति में कुछ जरूरत कहीं धन माल की नहीं है ll





(9)   


ll   जब दिन गर्दिश के यादें हैं हर शक्स बुराई देता है हमदर्द नहीं कोई अपना दुनिया में दिखाई देता है मां बाप निकम्मा कहते हैं और बहन भी आंख दिखा दी है भाई भी बुरा हूं करते हैं भाभियों को नफरत जाती है बेटे भी बिगड़ते हैं बेहद घरवाली जिगर जलाती है अपने बेगाने हो जाते जब गर्दिश रंग दिखाती है इज्जत को करने वाले भी इज्जत को तारने फिरते हैं यह सर को झुकाने वाले भी यह सर उतारने फिरते हैं भाई बंधु और कुटुंब कबिले झूठे जग के नाते हैं दुनियादारी दिखलाने को बस मरघट तक जाते हैं रिश्तेदार नमस्ते कहकर अपना पिन चढ़ाते हैं कहते हैं कि रिश्ता दूर करवानी तक नहीं मिलाते हैं कुछ काम अधर्मी धर्म के कर वरना पीछे पछतायेगा जब प्राण निकल जाएंगे तेरे एक धीरे पड़ा रह जाएगा क्यों सोवे सुख नींद अचानक मौत एक दिन आएगी लाख बहाने करेगा लेकिन संग तुझे ले जाएगीकहते हैं बनी पर लाखों निसार होते हैं जब बनी बिगड़ती है तो दुश्मन हजार होते हैं यह वक्त इंसान का अपमान करा देता है यह वक्त इंसान का सम्मान करा देता है वक्त पड़ने पर मेरी नजर में आया यह वक्त इंसान की पहचान करा देता है राजा हुए या नहीं कि यहां पर रावण रहे ना राम रहे जो आए थे गए यहां से केवल उनके नाम रहे कौरव पांडव नाही श्री घनश्याम रहे जो आए थे गए यहां से केवल उनके नाम रहेll


(10)


मेरा मन पंछी ये बोले रे वृंदावन जाऊं व्रज की इन पावन गलियों में राधे राधे गांव में राधे राधे गांव मे श्यामा श्यामा गांव छैल छबीले कृष्ण पिया तेरी याद सताती है कुहू कुहू कर काली कोयल मन तड़पाती है छीन लिया सब तूने मेरा प्यारे कहां बुझाऊं व्रज की पावन गलियों में राधे राधे गाऊं निधिवन जी में जहां कन्हैया रास रचाते हैं प्रेम भरी अपनी बांसुरिया



http://jmdkksdj.wapkiz.com(11) सच्ची ना सही झूठे ही सही आखिर तो तेरे दीवाने हैं लायक न सही जाहिल ही सही आखिर तो तेरे दीवाने हम पहले तो बनाया था ना फिर मुखड़ा काहे मोड़ लिया सचिन सही झूठे ही सही आखिर तो तेरे दीवाने है




(12)


मां की दुआ कभी खाली नहीं जाती और इसकी बात तो भगवान से भी टाली नहीं जाती
बर्तन मांज कर चार बेटे को पाल लेती है मां और दुल्हन आने के बाद उन चार बेटों से एक मां पाली नहीं जाती पता नहीं कैसे-कैसे ख्यालों में खो जाते थे वह कोई मजाक भी करता था तो रो जाते थे वह तेरे जीवन में खुशियां तमाम आएंगे ले ले मां की दुआए तेरे काम आएंगी


माता के जन्मदाता माता ही जग चलाएं होता है जब अंधेरा मा रो सनी दिखाएं उपकार हम पर मां का यह कैसे चुकाया जाये नव महीने मुझको रखा मैया ने जुटाए 9महीने तन के सांचे में डालती हे मां फिर जन्म देती और पालती है मनोज बरसों तलक तो उठाती हे मां जागकर कितनी रातें बिताती है मामा ने पैदा किया तो अपनी पहचान है मां हमारी तुम्हारी सब कि भगवान है जब कोई परदेसी जाता है बेटा शुरू दौर होता है फरमाइशों का भी छोटा भाई कहता है कि मेरे लिए बढ़िया सी गाड़ी लाना पत्नी कहती अच्छी-अच्छी साड़ी लाना मगर माय कहती है कुछ भी न लाए मेरा बेटा मेरा लाल वापस मेरे घर को आए मेरा लाल वापस मेरे घर आए




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