Tuesday, March 20, 2018

jay ho ............

    Arjun Jo Shastra with Karam Karna Karthavyam Usi Bhavishya Shakti aur
Pal Ka Pyar Karke Kiya jata hai wahi Satwik Tyag Mana jata hai       
                 

त्याग सात्विक राजस और तामस भेद से 3 प्रकार का कहा गया है


जो कुछ कर्म है वह सब दुख रूपी है ऐसा समझकर यदि कोई शरीरिक प्लेस के भय से कर्तव्य कर्मों का त्याग कर दें तो वह ऐसा राजस्व याद करके त्याग के फल को किसी प्रकार भी नहीं पाता

बुद्धिमान पुरुषों को दुष्टा स्त्रियों का कभी विश्वास नहीं करना चाहिए जो मूर्ख इनका विश्वास करता है उसे दुखी होना पड़ता है


क्षमा दम दया दान नीलू बता स्वाध्याय सरलता अनुसूया तीर्थ का अनुसरण सत्य संतोष आस्तिक क्या इंद्रियनिग्रह देवार्चन विशेषकर ब्राह्मणों का पूजन अहिंसा प्रिय वादिता रुचिता और UP 10 उंगली ना करना इन सभी को चारों आश्रमों का सम्मान समान धर्म स्वीकार किया गया है


eksg के कारण उसका त्याग कर देना तामस क्या कहा गया है

यज्ञ दान और तप रूप कर्म त्याग करने योग्य नहीं है बल्कि वह तो अवश्य कर्तव्य है जो कि यज्ञ दान और तब यह तीनों ही कर्म बुद्धिमान पुरुषों को पवित्र करने वाले हैं



जो मनुष्य अकुशल कर्म से तो दो ऐसे नहीं करता और कुशल कर्म में आसक्त नहीं होता वह शुद्ध सत्व गुण से युक्त पुरुष संशय रहित बुद्धिमान और सच्चा त्यागी है



100 मालिक एक हजार और 1000 वाला व्यक्ति लाख की पूर्ति में लगा रहता है जो लाक्षादि पति है वह राज्य की इच्छा करता है और जो राजा है वह संपूर्ण पृथ्वी को अपने वश रखना चाहता है और जो चक्रवर्ती नरेश है राजा है वह देवत्व की इच्छा करता है और देवत्व पद के प्राप्त होने पर उसकी अभिलाषा देवराज इंद्र के पद के लिए होती है और देवराज होने पर वह पूर्णगतकी कामना करता है फिर भी उसकी तृष्णा शांत नहीं होती तृष्णा से पराजित व्यक्ति नरक में जाता है जो लोग तृष्णा से मुक्त हैं उन्हें उत्तम लोक की प्राप्ति होती है !


जय श्री कृष्णा जय श्री श्याम प्यारे दोस्तों नमस्कार फिर मिलेंगे लाइक करो ना करो इसके लिए चिंता मुझे नहीं

हमें चिंता नहीं उन्हें चिंता हमारी है हमारी नाव के खेवन सुदर्शन चक्र धारी हैं



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