Saturday, March 24, 2018


                    आध्यात्मिक अनमोल विचार 


1 – भगवान् तो प्रेम के भूखे हैं, भूखे को भोजन खिलाओगे तो भगवान् खुश होगा.
2 – शास्त्रानुसार निन्दा सुनाने वाला भी उतना दोषी होता है, जितना की करने वाला.
3 – यदि ईश्वर है, तो हमें उसे देखना चाहिए, यदि आत्मा है, तो हमें उसकी प्रत्यक्ष अनुभूति कर लेनी चाहिए, अन्यथा उन पर विश्वास न करना ही अछी है | ढोंगी बनने की अपेक्षा नास्तिक बनना अच्छा है|


4 – ईश्वर का नाम सभी लेते है, परन्तु ईश्वर का नाम लेने से ह ईश्वर को पाया नहीं जा सकता.
5 – ईश्वर ने तुझे मानव शरीर दिया है.यही उचित समय है, जब तू भगवान को पा सकता है,तेरे अन्य सारे प्रयास व्यर्थ है, सत्संग में प्रवृत्त हो और ईश्वर का ही नाम ले.



6 – सत्संग की महान महिमा है – वह दुख घटाता है और पापों को काटता है और जीवन को सुधारता है.
7 – जैसे मोमबत्ती बिना आग के नहीं जल सकती, मनुष्य भी आध्यात्मिक जीवन के बिना नहीं जी सकता.
8 – कर्तव्य ही धर्म है, प्रेम ही ईश्वर है, सेवा ही पूजा है, सत्य ही भक्ति है.
9 – कुरान भी अच्छी लगाती है मुझे, गीता का ज्ञान भी मेरा है…. मुझ पर बरसती है मेहरबानियाँ बहुत, अल्लाह मेरा है और भगवान् भी मेरा है.
10 – जिसको भगवान् अच्छा लगता हैं, भगवान् को वो अच्छा लगता है


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