Tuesday, April 10, 2018

yogeshvar maharaj subh vachan

हे कान्हा,
न तेरी अदा समझ में आती है न आदत,

तू हर रोज़ नया सा, मैं हर रोज़ वही उलझा सा
।।।।।श्री राधे।।।।।


आज भी हर* *समस्या का अंतिम हल*
*" माफ़ी " ही है !*
*कर दो या माँग लो !*

*उसकी कदर करने में देर मत करना,*

*जो इस दौर में भी आपको वक़्त देता हो,,,,*

*खुदा से मेरी एक ही दुआ है*
*महंगी घड़ी सबको दे देना* !
            *लेकिन.....*
*"मुश्किल घड़ी" किसी को न  देना......

*वो 'पत्ता' आवारा न बनता तो क्या करता..!*

*न हवाओं ने बख्शा, न शाखों ने पनाह दी..!!*


*" जिसे जीना आता है वह बिना किसी सुविधा के भी खुश  मिलेगा "*

*" जिसे जीना नही आता वह सभी सुविधाओ के होते हुए भी दु:खी  मिलेगा "*
एक कविता ऐसी लिखूं....जो तेरी आँखों में दिखाई दे.......

जो आँखें बंद भी करलू तो तुझे सांसो में सुनाई दे..
जय श्री श्याम✍️✍️✍️

अभिमान" की ताकत फरिश्तो को भी "शैतान" बना देती है, और*
*"नम्रता" साधारण व्यक्ति को भी  "फ़रिश्ता" बना देतीहै ।*


 *मित्रता एवं रिश्तेदारी*
         सम्मान की नही*
      भाव की भूखी होती है.
           बशर्तें लगाव*
        दिल से होना चाहिए*
         दिमाग" से नही.*      
         🙏सुप्रभात🙏


*5 छिद्रों वाले घड़े को कैसे भरेंगे ?*
*गुरु ने मुस्कान के साथ उत्तर दिया पानी में ही डूबा रहने दो ;भरा ही रहेगा !*
*इसी तरह हमारी 5 इन्द्रियाँ  परमात्मा में ही डूबी रहेंगी तो संसार क्या बिगाड़ लेगा*
*तन की जाने, मन की जाने,*
      *जाने चित की चोरी ।*
*उस प्रभु  से क्या छिपावे*
   जिसके हाथ है सब की डोरी
        🙏सुप्रभात🙏

*पाँव नही दिखते है , लेकिन दौड़ मुसीबत में आता है*
*हाथ नही दिखते , लेकिन सिर पे हाथ फिराता है*
*🙏जय श्री श्याम*🙏




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