Friday, August 31, 2018

स्वागमम कृष्ण सुस्वागथम कृष्णा


स्वागमम कृष्ण सुस्वागथम कृष्णा
स्वागथम सुवागथम शरणगथम कृष्ण
मथुरापुरी कृष्ण मधुसूदन कृष्ण
स्वागथम सुवागथम शरणगथम कृष्णा
स्वागमम कृष्णा शरणगतम कृष्णा
मदुरा पुरी सदाना मृदु वाडाना मधुसूदन इहा
*
भोगतप्त सुलाभा सुषप्पा गांधी कलभा
कस्तुरी तिलका महिपा माँ कंता नंदा गोपा कंडा
*
मुष्टिकशूरा चनूरा मल्ला
मल्ला विशारदा कुवलया पेड़ा
मर्दाना कॅलिंगा नर्तना गोकुला
रक्षणा सक़ाला सुरक्षणा देव
सिष्ता जाना पाला संकल्पा कल्पा
कल्पा सता कोड़ी असमा पराभावा
धीरा मुनिज़ाना विहारा मदाना सुकुमआरा
दैत्या संहरा देव
माधुरा माधुरा रति सहसा सहसा
व्राजा युवती जाना मानसा पूजीता
सा ढा पा गा री पा गा री सा ढा सा री
तत्ति तक़जनुतम तीत्ताका जनौटम तका जनुतम
ताकतीमुकुकु ताना कीड़ा तका धीं



Swaagatham Krishna Suswaagatham Krishna
Swaagatham Suswaagatham Sharaanagatham Krishna
Mathuraapuri Krishna Madhusoodhana Krishna
Swaagatham Suswaagatham Sharanaagatham Krishna
Swagatam Krishna Sharanagatam Krishna
Madura Puri Sadana Mrudu Vadana Madhusudana Iha
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Bhogatapta Sulabha Supushpa Gandha Kalabha
Kasturi Tilaka Mahipa Mama Kanta Nanda Gopa Kanda
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Mushtikashura Chanura Malla
Malla Visharada Kuvalaya Peda
Mardana Kalinga Nartana Gokula
Rakshana Sakala Surakshana Deva
Sishta Jana Pala Sankalpa Kalpa
Kalpa Sata Kodi Asama Parabhava
Dhira Munijana Vihara Madana Sukumara
Daitya Samhara Deva
Madhura Madhura Rati Sahasa Sahasa
Vraja Yuvati Jana Manasa Pujita
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Sa Dha Pa Ga Ri Pa Ga Ri Sa Dha Sa Ri
*
Tatthi Takajanutam Titthaka Janautam Taka Janutam
Takatimukuku Tana Kida Taka Dhim
Takatimukuku Tana Kida Taka Dhim
Takatimukuku Tana Kida Taka Dhim


आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की ॥

गले में बैजंती माला, बजावै मुरली मधुर बाला ।
श्रवण में कुण्डल झलकाला, नंद के आनंद नंदलाला ।

गगन सम अंग कांति काली, राधिका चमक रही आली ।
लतन में ठाढ़े बनमाली;
भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक, चंद्र सी झलक;
ललित छवि श्यामा प्यारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

कनकमय मोर मुकुट बिलसै, देवता दरसन को तरसैं ।
गगन सों सुमन रासि बरसै;
बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग, ग्वालिन संग;
अतुल रति गोप कुमारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

जहां ते प्रकट भई गंगा, कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा ।
स्मरन ते होत मोह भंगा;
बसी सिव सीस, जटा के बीच, हरै अघ कीच;
चरन छवि श्रीबनवारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

चमकती उज्ज्वल तट रेनू, बज रही वृंदावन बेनू ।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;
हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद, कटत भव फंद;
टेर सुन दीन भिखारी की ॥ श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की…

विश्वकर्मा जी के 108 नाम

 भगवान विश्वकर्मा जी के 108 नाम उनके विभिन्न गुणों, क्षमताओं और दिव्यता को दर्शाते हैं। यहाँ विश्वकर्मा जी के 108 पवित्र नामों की सूची दी गई...